5 SIMPLE STATEMENTS ABOUT SHIV CHALISA LYRICSL EXPLAINED

5 Simple Statements About shiv chalisa lyricsl Explained

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पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥

योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। शारद नारद शीश नवावैं॥

ता पर होत है शम्भु सहाई ॥ ॠनियां जो कोई हो अधिकारी ।

नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥

भए प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥ जय जय जय अनन्त अविनाशी ।

ध्यान पूर्वक होम करावे ॥ त्रयोदशी व्रत करै हमेशा ।

लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥ आप जलंधर असुर संहारा ।

अर्थ: आपके सानिध्य में नंदी व गणेश सागर के बीच खिले कमल के समान दिखाई देते हैं। कार्तिकेय व अन्य गणों की उपस्थिति से आपकी छवि ऐसी बनती है, जिसका वर्णन कोई नहीं कर सकता।

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। येहि अवसर मोहि आन उबारो॥

सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥ किया तपहिं भागीरथ भारी ।

नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥

नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य shiv chalisa lyricsl कमल हैं जैसे॥

कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥

शिव आरती

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